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 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध (India-Pakistan War of 1965)

पृष्ठभूमि:
1965 का युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर हुआ था। पाकिस्तान ने सोचा कि कश्मीर में मुसलमानों में असंतोष है और वह भारत से कश्मीर को छीन सकता है। इस सोच के तहत पाकिस्तान ने "ऑपरेशन जिब्राल्टर" शुरू किया, जिसमें उसके सैनिकों ने कश्मीर में घुसपैठ की।


मुख्य घटनाएँ:

  1. ऑपरेशन जिब्राल्टर (अगस्त 1965):
    पाकिस्तान ने कश्मीर में अपने सैनिकों को सिविलियन (आम नागरिक) के रूप में भेजा ताकि वे स्थानीय लोगों को भारत के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसा सकें। लेकिन यह योजना असफल हो गई और भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की।

  2. भारत की जवाबी कार्रवाई:
    भारत ने पाकिस्तान की घुसपैठ का करारा जवाब दिया और पाकिस्तानी क्षेत्र में घुसकर कई रणनीतिक ठिकानों पर कब्जा किया, जिनमें लाहौर की दिशा में महत्वपूर्ण क्षेत्र भी शामिल थे।

  3. टैंकों की लड़ाई – असल उत्तर (Battle of Asal Uttar):
    यह युद्ध की सबसे बड़ी टैंक लड़ाइयों में से एक थी। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट किया। इसे भारत की एक बड़ी जीत माना जाता है।

  4. हवाई युद्ध:
    दोनों देशों की वायु सेनाओं ने भी भाग लिया। भारत की वायुसेना ने पाकिस्तान के कई हवाई ठिकानों को नुकसान पहुँचाया।


युद्ध का अंत:

  • युद्ध लगभग 17 दिन चला (5 अगस्त से 23 सितंबर 1965 तक)।

  • संयुक्त राष्ट्र (UNO) के हस्तक्षेप से युद्धविराम (Ceasefire) हुआ।

  • 1966 में ताशकंद समझौता (Tashkent Agreement) हुआ, जिसे भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने साइन किया।

  • ताशकंद समझौते के बाद लाल बहादुर शास्त्री का वहीं पर अचानक निधन हो गया।


परिणाम:

  • युद्ध में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ।

  • भारत ने सैन्य दृष्टि से पाकिस्तान पर बढ़त हासिल की।

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि मजबूत हुई।


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